रविवार, 14 फ़रवरी 2010

joke

पत्नी : अजी घर में जवान बेटी बैठी है और तुम्हें तो जैसे उसके ब्याह की परवाह ही नहीं।

पति : मुझे तुमसे ज्यादा परवाह है, पर क्या करूँ, जो भी लड़का मिलता है, बेवकूफ ही मिलता है।

पत्नी : ओहो! अगर मेरे पापा भी तुम्हारी तरह सोच-विचार करते रहते, तो मैं आज तक कुँवारी ही बैठी रह जाती।

बुधवार, 20 जनवरी 2010

lucknow

वो हजरतगंज का समां, वो चौक की चाट,
वो मिनी महल की Ice Cream , वह उसमे थी कुछ बात,
वो राम आसरे की मिठाई, वो मधुर मिलन का दोसा,
वो Marksmen की पावभाजी और शर्मा का समोसा,
वो रिक्शा का सफर, वो नींबू पार्क की हवा,
वो बुद्धा पार्क की रौनक और दिलकुशा का समां,
वो January की कड़ाके की सर्दी, वो बारिशों के महीने,
वो गर्मी की छुट्टियाँ, जब छुटते थे पसीने,
वो होली की मस्ती, वो दोस्तों की टोली,
वो जनपथ का माहोल, वो गोमती की लहरें,
वो बोटक्लब का नज़ारा, वह उसके क्या कहने,
वो अमीनाबाद की गलियां, वो IT की ......,
वो नोवेल्टी की बालकनी और वो वाजपेयी की पूरियां,
वो Aryan का Chinese,वो Roverse का स्टाइल,
वो school की लाइफ, और वो कॉलेज की ज़िन्दगी,
वो national का रास्ता और वो कैंटीन की patties,
वो भूतनाथ की मार्केट, वो highway के ढाबे,
वो पुरनिया चौराहा, वो चारबाग स्टेशन………
इतना सब कह दिया पर दिल कहता है और भी कुछ कहूं,
ये शहर हैं मेरा अपना, जिसका नाम है.........
L U C K N O W

मंगलवार, 10 नवंबर 2009

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना

मलिन बस्तियों की जल्दी ही सूरत और सीरत बदली-बदली नजर आएगी। भारत सरकार के शहरी आवास एवं गरीबी उपशमन मंत्रालय की ओर से इन बस्तियों में स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना को अब और भी प्रभावी रूप में लागू किया जाएगा। इसके लिए बस्तियों में सर्वेक्षण का काम शुरू हो गया है। बस्ती के बाशिंदों का बायोडाटा तैयार हो रहा है जिसके द्वारा झोपड़पंिट्टयों में रहने वाले लोगों की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल जाएगी।बस्तियों में साक्षरता का प्रतिशत बेहद कम है। यही कारण है कि इन बस्तियों की हालत पहले जैसी ही है। यही हालत लगभग सभी शहरों की मलिन बस्तियों की है। इनकी रंगत बदलने के लिए भारत सरकार ने नए कदम उठाए हैं। पहले से चल रही स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना को अब और प्रभावी तरीके से लागू करने का निर्देश दिया गया है। यह योजना अब शहरी विकास मंत्रालय के अंतर्गत नहीं बल्कि शहरी आवास एवं गरीबी उपशमन मंत्रालय के तहत संचालित की जाएगी। अब इस योजना के तहत स्वरोजगार के लिए दो लाख रुपये कर्ज मिलेंगे। जबकि पहले मात्र पचास हजार रुपये ही मिलते थे। पहले इस कर्ज पर मात्र दस फीसदी की सब्सिडी थी अब उसे बढ़ाकर पंद्रह प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह योजना के तहत गठित किए जाने वाले महिला समूहों में अब सिर्फ पांच सदस्य ही होंगे। पहले इसमें 10, 15 और 25 सदस्य होते थे। इसके कारण समूहों में बिखराव नहीं होगा तथा तेजी के साथ काम हो सकेगा। अब स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण किसी संस्थान अथवा कैंप में नहीं बल्कि मलिन बस्तियों में ही दिया जाएगा। स्किल डेवलपमेंट स्लम्स के लिए कम्प्यूटर, मोटर मैकेनिक, वेल्डिंग, मोबाइल रिपेयरिंग आदि टेक्निकल कार्यो की ट्रेनिंग दी जाती है। इस प्रशिक्षण के बाद ही स्वरोजगार शुरू किए जा सकेंगे। डूडा के परियोजना अधिकारी शैलेन्द्र भूषण ने बताया कि जिलाधिकारी राजीव अग्रवाल के निर्देश पर नागरिक सुरक्षा कोर और नगर निगम तथा स्थानीय निकाय को सर्वेक्षण के लिए लगाया गया है। सर्वे का काम इस माह के अंत तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद से ही इन बस्तियों में योजना शुरू हो जाएगी।सोर्स -जागरण.कॉम

सोमवार, 9 नवंबर 2009

विषय और पढ़ाई

जब भी तुम्हें चोट लगती होगी, शुरू में काफी दर्द होता होगा, लेकिन धीरे-धीरे दर्द सहने की आदत हो जाती है और फिर उतना दर्द महसूस नहीं होता। कई बार ढेर सारे विषय और पढ़ाई देखकर तुम्हारे मन में घबड़ाहट होती होगी जैसे इनकी और आगे बढ़ते ही तुम जख्मी हो जाओगी, लेकिन धीरे-धीरे मन को कठोर बनाकर इनसे जूझने की ताकत आ जाती है। कहते हैं जब तक एक सैनिक के शरीर में लड़ाई के जख्म नहीं रहे उसका सैनिक जीवन अधूरा ही रहा। जिस मार्ग का अनुशरण करने का फैसला तुमने किया है, उसमें हमेशा कठिनाईयां, भय आदि पहले आते हैं और खुशियां धीरे-धीरे और बाद में। इसलिए इन सारे अनुभवों को कड़ी दवा की तरह पीते जाना चाहिए क्योंकि तुम्हारा मार्ग आगे बढ़ने के लिए है न कि केवल मुश्किलों को देखते रहने के लिए।

ज्ञान

शेर को देखकर जब सारे जानवर भागने लगते हैं तो उसे अपनी ताकत का अंदाजा हो जाता है कि वो एक शूरवीर है। लेकिन यह कैसा जंगल का राजा कि कोई भी स्वयं आकर उसका ग्रास नहीं बनता बल्कि उसे ही शिकार को थका कर पकड़ना और दबोचना होता है। इसलिए अगर तुम्हारे पास जो ज्ञान है वह समृद्व और ताकतवर होने पर भी जब तक लोगों के बीच सक्रिय नहीं होता तब तक उसकी महिमा को कोई स्वीकार नहीं करता है। इस ज्ञान को सक्रिय करना यानि कि उसे अच्छे कामों में लगाना ही उसे सक्रिय करने जैसा है।


































शनिवार, 31 अक्तूबर 2009

विवाह (vivah)

विवाह दो आत्माओं का पवित्र बन्धन है । दो प्राणी अपने अलग-अलग अस्तित्वों को समाप्त कर एक सम्मिलित इकाई का निर्माण करते हैं । स्त्री और पुरुष दोनों में परमात्मा ने कुछ विशेषताएँ और कुछ अपूणर्ताएँ दे रखी हैं । विवाह सम्मिलन से एक-दूसरे की अपूर्णताओं की अपनी विशेषताओं से पूर्ण करते हैं, इससे समग्र व्यक्तित्व का निर्माण होता है । इसलिए विवाह को सामान्यतया मानव जीवन की एक आवश्यकता माना गया है । एक-दूसरे को अपनी योग्यताओं और भावनाओं का लाभ पहुँचाते हुए गाड़ी में लगे हुए दो पहियों की तरह प्रगति-पथ पर अग्रसर होते जाना विवाह का उद्देश्य है । वासना का दाम्पत्य-जीवन में अत्यन्त तुच्छ और गौण स्थान है, प्रधानतः दो आत्माओं के मिलने से उत्पन्न होने वाली उस महती शक्ति का निमार्ण करना है, जो दोनों के लौकिक एवं आध्यात्मिक जीवन के विकास में सहायक सिद्ध हो सके ।Goa_Hotels
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शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2009

मन की बात (man ki baat)

अखबार की खबरें सबके लिए होती हैं, इसलिए उसमें कोई लुकाव या छिपाव नहीं होता, लेकिन पत्र या खास बातें जो बिल्कुल निजी होती है उसे सभी को नहीं बताया जा सकता। उनका सुरक्षित और गुप्त रूप से आदान- प्रदान किया जाता है।
कहते हैं एक गोली चलने पर कौआ सारे गाँव में शोर मचा कर साथियों को सावधान कर देता है लेकिन रोटी मिलने पर चुपचाप खा जाता है, अपने मुँह पर दाग भी नहीं छोड़ता। एक सैनिक लड़ाई में लगे जख्मों को सभी को दिखाता है लेकिन एक चोर-उचक्का अपने जख्मों को छुपाता फिरता है। इसलिए जिन चीजों को तुम्हारी आलमारी में होना चाहिए उन्हें वहीं पर रहना चाहिए और जो तस्वीरे दीवार के लिए हैं उन्हें वहीं पर टांगा जाना चाहिए।