शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2009

मन की बात (man ki baat)

अखबार की खबरें सबके लिए होती हैं, इसलिए उसमें कोई लुकाव या छिपाव नहीं होता, लेकिन पत्र या खास बातें जो बिल्कुल निजी होती है उसे सभी को नहीं बताया जा सकता। उनका सुरक्षित और गुप्त रूप से आदान- प्रदान किया जाता है।
कहते हैं एक गोली चलने पर कौआ सारे गाँव में शोर मचा कर साथियों को सावधान कर देता है लेकिन रोटी मिलने पर चुपचाप खा जाता है, अपने मुँह पर दाग भी नहीं छोड़ता। एक सैनिक लड़ाई में लगे जख्मों को सभी को दिखाता है लेकिन एक चोर-उचक्का अपने जख्मों को छुपाता फिरता है। इसलिए जिन चीजों को तुम्हारी आलमारी में होना चाहिए उन्हें वहीं पर रहना चाहिए और जो तस्वीरे दीवार के लिए हैं उन्हें वहीं पर टांगा जाना चाहिए।

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