मलिन बस्तियों की जल्दी ही सूरत और सीरत बदली-बदली नजर आएगी। भारत सरकार के शहरी आवास एवं गरीबी उपशमन मंत्रालय की ओर से इन बस्तियों में स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना को अब और भी प्रभावी रूप में लागू किया जाएगा। इसके लिए बस्तियों में सर्वेक्षण का काम शुरू हो गया है। बस्ती के बाशिंदों का बायोडाटा तैयार हो रहा है जिसके द्वारा झोपड़पंिट्टयों में रहने वाले लोगों की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल जाएगी।बस्तियों में साक्षरता का प्रतिशत बेहद कम है। यही कारण है कि इन बस्तियों की हालत पहले जैसी ही है। यही हालत लगभग सभी शहरों की मलिन बस्तियों की है। इनकी रंगत बदलने के लिए भारत सरकार ने नए कदम उठाए हैं। पहले से चल रही स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना को अब और प्रभावी तरीके से लागू करने का निर्देश दिया गया है। यह योजना अब शहरी विकास मंत्रालय के अंतर्गत नहीं बल्कि शहरी आवास एवं गरीबी उपशमन मंत्रालय के तहत संचालित की जाएगी। अब इस योजना के तहत स्वरोजगार के लिए दो लाख रुपये कर्ज मिलेंगे। जबकि पहले मात्र पचास हजार रुपये ही मिलते थे। पहले इस कर्ज पर मात्र दस फीसदी की सब्सिडी थी अब उसे बढ़ाकर पंद्रह प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह योजना के तहत गठित किए जाने वाले महिला समूहों में अब सिर्फ पांच सदस्य ही होंगे। पहले इसमें 10, 15 और 25 सदस्य होते थे। इसके कारण समूहों में बिखराव नहीं होगा तथा तेजी के साथ काम हो सकेगा। अब स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण किसी संस्थान अथवा कैंप में नहीं बल्कि मलिन बस्तियों में ही दिया जाएगा। स्किल डेवलपमेंट स्लम्स के लिए कम्प्यूटर, मोटर मैकेनिक, वेल्डिंग, मोबाइल रिपेयरिंग आदि टेक्निकल कार्यो की ट्रेनिंग दी जाती है। इस प्रशिक्षण के बाद ही स्वरोजगार शुरू किए जा सकेंगे। डूडा के परियोजना अधिकारी शैलेन्द्र भूषण ने बताया कि जिलाधिकारी राजीव अग्रवाल के निर्देश पर नागरिक सुरक्षा कोर और नगर निगम तथा स्थानीय निकाय को सर्वेक्षण के लिए लगाया गया है। सर्वे का काम इस माह के अंत तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद से ही इन बस्तियों में योजना शुरू हो जाएगी।सोर्स -जागरण.कॉम
मंगलवार, 10 नवंबर 2009
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